शनिदेव की पूजा एवं अन्य जानकारियां

शनि देव  ग्रह के देवता एवं  न्याय के देवता है। शनि देव को  तीनों लोकों में न्यायाधीश माना जाता हैं। शनि देव का न्याय निष्पक्ष होता है। इसी न्यायप्रियता की वजह से ही, कई लोग शनि देव को क्रूर मानते हैं।  लेकिन ऐसा नहीं है; जो भी नर-नारी सत्य के मार्ग पर चलता है, शनि देव उन लोगो को कभी भी कोई नुक्सान नहीं पहुंचाते  है।   शनि देव की महादशा (19 वर्षों के लिए), साढ़ेसाती (साढ़े सात वर्षों के लिए) और ढैय्या में  कर्मों के अनुसार फल देते हैं। जो भी जातक अच्छे कर्म करते हैं उन्हें अच्छा फल और बुरे लोगों को बुरा फल मिलता है। कोई भी यह भ्रम न पाले कि शनि देव की महादशा के दौरान  सिर्फ कष्ट ही मिलता है, ऐसा बिलकुल भी नहीं है।  शनिदेव की महादशा कई बार हमारे लिए शुभऔर फलदायी भी होती है। लेकिन अगर कभी कभार शनि की महादशा कुछ भी कष्टकारी हो तो उन जातकको को शनि देव की शांति के उपाय करने चाहिए।जन्मकुंडली में भाव आदि पर भी विचार करना जरूरी है। यहाँ हम आपको बता रहे है, कुछ सामान्य उपाय:

  1. शनिवार का उपवास रखे 
  2. हनुमान चालीसा, शनि चालीसा, शनिवार व्रत कथा, शनि शांति यंत्र और मंत्र का पाठ करे।   
  3. काली उड़दकी दाल, तिल, लौह, काले कपड़े आदि का दान करना चाहिए। 
  4. शनिवार के दिन काले घोड़े की नाल या नाव की सतह की कील का बना छल्ला मध्यमा उंगली में  धारण करें। 
  5. शनिवार के दिन काले कुत्ते को रोटी खिलाने दोष खत्म होते हैं। 
  6. पीपल के पेड़ पर तिल और सरसों का तेल चढ़ाना चाहिए। 
  7. शनि बीज मंत्र "ऊँ शं शनैश्चराय नम:" का नियमित जाप करे।
  8. शनि ग्रह की शांति के लिए नीलम को धारण करने का भी विधान है, लेकिन यह धारण करने से पहले किसी रत्न विशेषज्ञ की सलाह  कुंडली का विश्लेषण अवस्य करे।  

शनि देव के 108 नाम :
  1. शनैश्चर- धीरे- धीरे चलने वाला
  2. शान्त- शांत रहने वाला
  3. सर्वाभीष्टप्रदायिन्- सभी इच्छाओं को पूरा करने वाला
  4. शरण्य- रक्षा करने वाला
  5. वरेण्य- सबसे उत्कृष्ट
  6. सर्वेश- सारे जगत के देवता
  7. सौम्य- नरम स्वभाव वाले
  8. सुरवन्द्य- सबसे पूजनीय
  9. सुरलोकविहारिण् - सुरह्स की दुनिया में भटकने वाले
  10. सुखासनोपविष्ट - घात लगा के बैठने वाले
  11. सुन्दर- बहुत ही सुंदर
  12. घन – बहुत मजबूत
  13. घनरूप - कठोर रूप वाले
  14. घनाभरणधारिण् - लोहे के आभूषण पहनने वाले
  15. घनसारविलेप - कपूर के साथ अभिषेक करने वाले
  16. खद्योत – आकाश की रोशनी
  17. मन्द – धीमी गति वाले
  18. मन्दचेष्ट – धीरे से घूमने वाले
  19. महनीयगुणात्मन् - शानदार गुणों वाला
  20. मर्त्यपावनपद – जिनके चरण पूजनीय हो
  21. महेश – देवो के देव
  22. छायापुत्र – छाया का बेटा
  23. शर्व – पीड़ा देना वेला
  24. शततूणीरधारिण् - सौ तीरों को धारण करने वाले
  25. चरस्थिरस्वभाव - बराबर या व्यवस्थित रूप से चलने वाले
  26. अचञ्चल – कभी ना हिलने वाले
  27. नीलवर्ण – नीले रंग वाले
  28. नित्य - अनन्त एक काल तक रहने वाले
  29. नीलाञ्जननिभ – नीला रोगन में दिखने वाले
  30. नीलाम्बरविभूशण – नीले परिधान में सजने वाले
  31. निश्चल – अटल रहने वाले
  32. वेद्य – सब कुछ जानने वाले
  33. विधिरूप - पवित्र उपदेशों देने वाले
  34. विरोधाधारभूमी - जमीन की बाधाओं का समर्थन करने वाला
  35. भेदास्पदस्वभाव - प्रकृति का पृथक्करण करने वाला
  36. वज्रदेह – वज्र के शरीर वाला
  37. वैराग्यद – वैराग्य के दाता
  38. वीर – अधिक शक्तिशाली
  39. वीतरोगभय – डर और रोगों से मुक्त रहने वाले
  40. विपत्परम्परेश - दुर्भाग्य के देवता
  41. विश्ववन्द्य – सबके द्वारा पूजे जाने वाले
  42. गृध्नवाह – गिद्ध की सवारी करने वाले
  43. गूढ – छुपा हुआ
  44. कूर्माङ्ग – कछुए जैसे शरीर वाले
  45. कुरूपिण् - असाधारण रूप वाले
  46. कुत्सित - तुच्छ रूप वाले
  47. गुणाढ्य – भरपूर गुणों वाला
  48. गोचर - हर क्षेत्र पर नजर रखने वाले
  49. अविद्यामूलनाश – अनदेखा करने वालो का नाश करने वाला
  50. विद्याविद्यास्वरूपिण् - ज्ञान करने वाला और अनदेखा करने वाला
  51. आयुष्यकारण – लम्बा जीवन देने वाला
  52. आपदुद्धर्त्र - दुर्भाग्य को दूर करने वाले
  53. विष्णुभक्त – विष्णु के भक्त
  54. वशिन् - स्व-नियंत्रित करने वाले
  55. विविधागमवेदिन् - कई शास्त्रों का ज्ञान रखने वाले
  56. विधिस्तुत्य – पवित्र मन से पूजा जाने वाला
  57. वन्द्य – पूजनीय
  58. विरूपाक्ष – कई नेत्रों वाला
  59. वरिष्ठ - उत्कृष्ट
  60. गरिष्ठ - आदरणीय देव
  61. वज्राङ्कुशधर – वज्र-अंकुश रखने वाले
  62. वरदाभयहस्त – भय को दूर भगाने वाले
  63. वामन – (बौना ) छोटे कद वाला
  64. ज्येष्ठापत्नीसमेत - जिसकी पत्नी ज्येष्ठ हो
  65. श्रेष्ठ – सबसे उच्च
  66. मितभाषिण् - कम बोलने वाले
  67. कष्टौघनाशकर्त्र – कष्टों को दूर करने वाले
  68. पुष्टिद - सौभाग्य के दाता
  69. स्तुत्य – स्तुति करने योग्य
  70. स्तोत्रगम्य - स्तुति के भजन के माध्यम से लाभ देने वाले
  71. भक्तिवश्य - भक्ति द्वारा वश में आने वाला
  72. भानु - तेजस्वी
  73. भानुपुत्र – भानु के पुत्र
  74. भव्य – आकर्षक
  75. पावन – पवित्र
  76. धनुर्मण्डलसंस्था - धनुमंडल में रहने वाले
  77. धनदा - धन के दाता
  78. धनुष्मत् - विशेष आकार वाले
  79. तनुप्रकाशदेह – तन को प्रकाश देने वाले
  80. तामस – ताम गुण वाले
  81. अशेषजनवन्द्य – सभी सजीव द्वारा पूजनीय
  82. विशेषफलदायिन् - विशेष फल देने वाले
  83. वशीकृतजनेश – सभी मनुष्यों के देवता
  84. पशूनां पति - जानवरों के देवता
  85. खेचर – आसमान में घूमने वाले
  86. घननीलाम्बर – गाढ़ा नीला वस्त्र पहनने वाले
  87. काठिन्यमानस – निष्ठुर स्वभाव वाले
  88. आर्यगणस्तुत्य – आर्य द्वारा पूजे जाने वाले
  89. नीलच्छत्र – नीली छतरी वाले
  90. नित्य – लगातार
  91. निर्गुण – बिना गुण वाले
  92. गुणात्मन् - गुणों से युक्त
  93. निन्द्य – निंदा करने वाले
  94. वन्दनीय – वन्दना करने योग्य
  95. धीर - दृढ़निश्चयी
  96. दिव्यदेह – दिव्य शरीर वाले
  97. दीनार्तिहरण – संकट दूर करने वाले
  98. दैन्यनाशकराय – दुख का नाश करने वाला
  99. आर्यजनगण्य – आर्य के लोग
  100. क्रूर – कठोर स्वभाव वाले
  101. क्रूरचेष्ट – कठोरता से दंड देने वाले
  102. कामक्रोधकर – काम और क्रोध का दाता
  103. कलत्रपुत्रशत्रुत्वकारण - पत्नी और बेटे की दुश्मनी
  104. परिपोषितभक्त – भक्तों द्वारा पोषित
  105. परभीतिहर – डर को दूर करने वाले
  106. भक्तसंघमनोऽभीष्टफलद – भक्तों के मन की इच्छा पूरी करने वाले
  107. निरामय – रोग से दूर रहने वाला
  108. शनि - शांत रहने वाला


शनि देवजी की आरती (Shri Shani Dev Ji Ki Aarti in Hindi)

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी॥ जय.॥

श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥ जय.॥

क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥ जय.॥

मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥ जय.॥

देव दनुज ऋषि मुनि सुमरिन नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ॥जय.॥


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