अपने जीवन रूपी टूल बॉक्स में रखे जरूरी उपकरण

क्या आपने कभी गौर किया है कि, अक्सर हमारे जीवन में होने वाली भयानक और चुनौतीपूर्ण घटनाये हमारे लिए सबसे बड़ा सबब बन जाती हैं? जब कभी  भी आप उन लोगो से बात करे, जिन्होंने अपने जीवन में  चुनौतियों और त्रासदियों का उचित अनुभव किया है; तो आप पाएंगे कि उन लोगो ने डरने या उन चुनोतियो से भागने के बजाय उन   चुनौतियों से सीखने और निडरता से आगे बढ़ने का विकल्प चुना है। और, उनकी निडरता ने उन्हें कई अविश्वसनीय चीजों को प्राप्त करने में मदद की है। हमारी चुनौतियां हमारे सबसे बड़े अवसर हैं।
हमारा जीवन  एक संघर्ष है, चुनौतियां और परेशानियां तो आएंगी ही। अगर हम समस्याओ या परेशानियों से हिम्मत हार जायेंगे तो, सफलता तो दूर की बात है हम अपना जीवन भी नहीं जी पाएंगे और परेशानियों का दास बन जायेंगे । हर किसी के जीवन में समय अनुकूल - विपरीत होता है, जो लोग अपने आप पर विश्वास रखते है वे लोग जोश के साथ आगे बढ़ाते है। अंतत: परेशानी ही अपना रास्ता बदल देती है, आत्म विश्वास व्यक्ति का साहस नहीं। एक कहानी बड़ी ही पेरणा दायक है,
एक बार एक बाज़ का अंडा गलती से मुर्गी के अंडों में मिल जाता है और समय आने पर अंडा फूटता है और उसके अन्दर से बाज़ निकलता है। वो बाज़ मुर्गी के बच्चो के साथ बड़ा होने लगता है।  वो वही करता जो बाकी चूजे करते, मिट्टी में इधर-उधर खेलता, दाना चुगता और दिन भर उन्हीं की तरह चूँ- चूँ करता रहता।  बाकी चूजों की तरह वो भी बस थोडा सा ही ऊपर उड़ पाता , और पंख फड़ -फडाते हुए नीचे आ जाता . फिर एक दिन उसने एक बाज को खुले आकाश में उड़ते हुए देखा, बाज बड़े शान से बेधड़क उड़ रहा था. तब उसने बाकी चूजों से पूछा, कि भाई ये इतनी उँचाई पर उड़ने वाला शानदार पक्षी कौन है? चूजों ने कहा भाई वो बाज है, पक्षियों का राजा, वो बहुत ही ताकतवर और विशाल है , लेकिन तुम उसकी तरह नहीं उड़ सकते क्योंकि तुम तो एक चूजे हो और तुम एक दिन मारे जाओगे। लेकिन चूजों के बीच में पला बड़ा होने के कारण वो ख़ुद को मुर्गा समझता था। उसकी सब आदतें मुर्गों जैसी ही थी। एक दिन एक मादा बाज़  उधर से निकलती है और उसका ध्यान नीचे मुर्गों के साथ खेलते हुए बाज़ पर पड़ती है तो वह नीचे आती है और उसको कहती है कि तू मुर्गी का नहीं बाज़ का बच्चा है। तू आसमान छूने के लिए पैदा हुआ है, तू पहाड़ की चोटियों पर रहने के लिए बना है। लेकिन बाज़ कि सोच भी मुर्गों जैसी ही बन जाती है वो कहता है कि नहीं-नहीं मैं मुर्गा ही हूँ, मैं बहुत ऊँचा नहीं उड़ सकता। मादा बाज़ ने उसे  बहुत समझाया लेकिन वह नहीं माना ।
बाज़ का बच्चा जो आसमान कि ऊँचाइयों को छूने के लिए पैदा हुआ था नेगेटिव माहौल में पला बड़ा होने कि वजह से एक मुर्गे जैसी जिंदगी जी कर इस दुनिया से चला गया। वह बाज़ का बच्चा दिमागी रुप से हार गया था। अगर हमें भी बाज़ की तरह आसमान को छूना है तो हमें भी बाज़ की तरह बनाना पड़ेगा। अगर हम ख़ुद को सफल लोगों के बीच में रहेंगे तो हम भी सफल हो जायेंगे।
असफल व्यक्तियों कि संगत में रह कर हम भी मुर्गे की तरह ही जीते है। कामयाबी हासिल करने के लिए यह जरूरी हैं कि आज ही हम उन नकारात्मक लोगों का साथ छोड़ दें जो हमेशा मुर्गे जैसी जिंदगी जीना चाहते हैं और छोटी छोटी बातो में रहकर संतुष्ट हो जाते हैं और इससे आगे कभी बढ़ना नहीं चाहते। हमेशा उन लोगों के साथ रहें जो सफल है, सकारात्मक हैं और आगे बढ़ने के लिए सदैव दुसरो को प्रेरित करे। सफल बनाने के लिए हमेसा अपने आप पर विश्वाश  होना चाहिए।  हमें सरदार भगत सिंह कि इस लाइन को हमेशा याद रखना होगा:
"जिंदगी तो अपने दम पर जी जाती है, दूसरों के कंधों पर तो जनाज़े जाते हैं"

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